निस्वार्थ भाव से, मदद करो, प्रेंम से, बातो को प्रकट करो। क्यों लड़ रहे तुम, जाति-धर्म के भावों से, कभी इंसान बन जज्बातों को तो व्यक्त करो। ऐसा करने से आता हौसला ए जनून है, जिससे मिलता जीवन में सुकून हैं।। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार...📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को तृतीय प्रतियोगिता में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 4-8 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा। 💫 प्रतियोगिता ¥3:- सुकून मिलता है