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जा रहा हूं घर को छोड़कर, आंगन को मायूस सा देखकर,

जा रहा हूं घर को छोड़कर,

आंगन को मायूस सा देखकर,

 गलियारे की चिड़ियों को चहकता छोड़ कर।

मां की आंखों को नम सा छोड़कर,

जा रहा हूं घर को छोड़कर, आंगन को मायूस सा देखकर, गलियारे की चिड़ियों को चहकता छोड़ कर। मां की आंखों को नम सा छोड़कर, #Poetry

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