राग-जार हो गया दिल मेरा कोई शबनम की बूंद क्यों नहीं ठहरता आंखें तो सबकी ठहरती है किसी का दिल क्यों नहीं ठहरता दवा-साज कहता है खुद को, सारे मर्ज की दवा जानता है वाबाल में कलब है मेरा, मेरा खुद-सार इरादे क्यों नहीं मानता है राहिल हूं हमराह की तलाश में, संग-जार पर चलना मंजूर नहीं ता-हद-ऐ-नजर तक देख लिया मैंने, मुंतजर किसी मंजर में नहीं ©Muntashir Soul Raag Zaar #HeartBreak