दो घड़ी में बीत जाएगी जाने कब वो मिलन की घड़ी आएगी सोच कर जाने क्या क्या सांसे उनकी भी उबल रही हूँगी घूंघट उठते ही एहसास की चादर जोर से करवट बदल रही हूँगी एहसास ए बयाँ कुछ अलग सा होगा दिल घबरा के कह रहा है जाने क्या होगा आंखों के आंसू होठों पे मुस्कान ला रही है ये अंधेरी रात है अजनबी जाने कहाँ ले जा रही है ज़िन्दगी की पहली सुहाग की वो रात याद करो होठो से निकली वो पहली बात याद करो