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जय महाकाल!!! यथाशक्ति भक्ति करि, शिव शंभू, बाघम्ब

जय महाकाल!!!

यथाशक्ति भक्ति करि, शिव शंभू, बाघम्बरी 
उचित हो उसके 
देना फल मुझको |
वो मेरे मन का होगा, या नहीं मन का होगा 
सहज ही प्रभु मेरे,
स्वीकारूंगा उसको ||
जैसे पूजा तेरी किया, देके तन अरु हिया 
वैसे ही आराध्य मैं 
मानूंगा तुझको |
और जब भी जन्मूं यहाँ, तिस पर मानव बनूं यहाँ 
करूंगा समर्पित 
तुझपे खुद को ||

©कवि प्रभात  कविता कोश
जय महाकाल!!!

यथाशक्ति भक्ति करि, शिव शंभू, बाघम्बरी 
उचित हो उसके 
देना फल मुझको |
वो मेरे मन का होगा, या नहीं मन का होगा 
सहज ही प्रभु मेरे,
स्वीकारूंगा उसको ||
जैसे पूजा तेरी किया, देके तन अरु हिया 
वैसे ही आराध्य मैं 
मानूंगा तुझको |
और जब भी जन्मूं यहाँ, तिस पर मानव बनूं यहाँ 
करूंगा समर्पित 
तुझपे खुद को ||

©कवि प्रभात  कविता कोश