यह जीवन एक महासमुदर् है। कर्म उसका मंदराचल पर्वत है। उसकी इच्छाए वासुकि नाग की तरह होती है। उसके जीवन के अच्छे एवं बुरे विचार दैव व दैत्य है, जो जितनी मेहनत के साथ कर्म करता है या कहे कि जीवन मै मंथन करता है उसे उतने ही रत्न मिलते है। जगदीश हुरकट तराना जिला उज्जैन । ©Jagdish Hurkat #Argentina