ऐसा लगता है ... जैसे ... ये रंगीन मौसम .... मुझे रंगहीन कर के छोड़ेगा .... अभी पिछले सदमे से मैं उभर नहीं पाया हूं ... ये फ़िर से मेरा हौंसला तोड़ेगा .... आख़िर कब तक मैं इसके सितम बर्दाश्त कर पाऊंगा ... पता नहीं जी पाऊंगा या मर जाऊंगा .... ख़ैर , मैं हथियार नहीं डालूंगा ..... मैं किसान हूं ऐसे हिम्मत नहीं हारूंगा... साहस जुटाऊंगा और उठ जाऊंगा ... हिम्मत तो नहीं है ये मंज़र देखने की मैं फ़िर भी खेतों तक जाऊंगा .... मेरे पास मेरी आस के अलावा जो कुछ भी बचा होगा उसी से पूरे परिवार की भूक मिटाऊंगा .... सारा गम भूल जाऊंगा फिर से नए अरमान सजाऊंगा ... और काम में जुट जाऊंगा ... मैं किसान हूं चैन से मातम कहां मना पाऊंगा ... #farmerslife#farmers struggle#