बचपन और पॉकेटमनी वो बचपन की पाबंदियाँ, वो गलियों में अठखेलियां बड़ी सुहानी लगती थीं, वो फल सब्जी की पहेलियाँ वो खर्च को मिलती दौलत, दो रूपैया हफ्ते मे एक बार याद तो होगी ही तुमको, स्कूल के वो यार वो सहेलियां आमिल #Pocketmoney