Nojoto: Largest Storytelling Platform

प्रेम की दुकान या नफरत का बाजार चले थे प्रेम की

प्रेम की दुकान
या
नफरत का बाजार

 चले थे प्रेम की दुकान सजाने
 नफरत का बाजार सजा बैठे
 खुद की जिंदगी को नर्क बना बैठे
 लोग देखते ही रह गए
 तुम सब कुछ अपना लुटा बैठे
 चले थे औरों को बर्बाद करने
 खुद सरेआम बाग बर्बाद हो बैठे

©DR. LAVKESH GANDHI
  # मोहब्बत की दुकान #
# प्रेम की दुकान या नफरत का बाजार #

# मोहब्बत की दुकान # # प्रेम की दुकान या नफरत का बाजार #

662 Views