Adhroora Sapna क्यों फिर मुझे एक अधूरा सपना दिखाया। क्यों फिर तेरे हाथ में हाथ अपना दिखाया। उसे जाना ही था तो मिलाया क्यों। पूरा ना कर सके तो सपने बुनवाया ही क्यों क्यों फिर मुझे एक अधूरा सपना दिखाया क्यों फिर वही चेहरा हंसता मुस्कुराता दिखाया मुरझाना ही था तो फिर खिलाया ही क्यों उसे जाना ही था तो फिर मिलाया ही क्यों पूरा ना कर सके तो सपने बनवाया ही क्यों क्यों फिर मुझे एक अधूरा सपना दिखाया क्यों फिर तुझसे दूर जाने का खौफ मेरे दिल ने जताया उसे जाना ही था तो फिर मिलाया ही क्यों पुरा ना कर सके तो सपने बुनवाया ही क्यों चले गए पर दिल में हो मेरे दिल के हर महफिल में हो सोचा रोक लूं तुझे एक पल के लिए पूछना चाहती थी हर उस बीते कल के लिए लेकिन हाथों से वक्त फिसल जाने लगा हमेशा की तरह तू दूर मुझसे जाने लगा उसे जाना ही था तो फिर मिलाया ही क्यों पूरा ना कर सके तो सपने बुनवाया ही क्यों तेरे जाने के बाद तन्हाइयों ने लिख डाली नाम मेरा बर्बादियों में खुद से रोज मिलने लगी मैं अपनी ही यादों में बस फरयाद है खुदा से जिसे मिलना नहीं होता तो उसके दिलों में मोहब्बत के बीज बोना ही क्यों क्यों फिर मुझे एक अधूरा सपना दिखाया क्यों फिर तेरे हाथ में हाथ अपना दिखाया उसे जाना ही था तो मिलाया ही क्यों पूरा ना कर सके तो सपने बनवाया है क्यों #OpenPoetry #Adhoorasapna... #sadpoetryrealstory #meripoetrymerijubaani.....