#हंसी की गूंज वो हंसी ही क्या जिसमें गूंज ना हो, वो गूंज ही क्या जिसमें कोई आवाज़ ना हो। हंसी तो वो है, जो ज़मीन से आसमान तक जाती है जैसे गूंजती हुई ऊंची आवाज़, जो चेहरे पर लाली लती है जैसे पेड़ पौधों पर पेड़ती धूप, जो होटों पर मुस्कुराहट लाती है जैसे कलियों का खिलता चमन, जो छोटी बातों में खुशी बताती है जैसे अंधेरे में बिखरती चांदनी। वो नाराज़गी ही क्या जो एक हंसी से खत्म ना हो, वो चेहरा ही क्या जो हंसी से खिलता ना हो। हंसी तो वो है, जो रूठों को मानती है जैसे महकते आंगन में जज्बातों का संगम, जो परायों को अपना बनाती है जैसे घरौंदे में लौटकर आते बिछड़ते पंछी, जो कर्वे जीवन में शैहद घोलती है जैसे गंद दूर करता मैहकता गुलशन, जो अरमानों के आंगन में खुशियों की लहर लती है जैसे वन मै चेहकते पंछी। वो गूंज ही क्या जिसपर दिल झूम कर गाए ना, वो घर ही क्या जहां लोग खुलकर हंसे ना। ~Tushar Agarwal #tushar_agarwal #poetry #shayeri #poem #hansikigoonj #hindi #hindipoetry #hindikavita #kavita #hindiquote