वो ऊँ है निराकार है हर ज्योत मे है समाहित त्रिलोकी नाथ है देवों का देव महादेव कहलात है वह शिव शंकर भोले नाथ है है एक ऐसी ध्वनी जो चलती सदैव साथ है हिमालय की गुफाओं मे रहने वाला वो विश्व गुरु एंव परम पिता कहलात है सच्चा योगी भूत पिशाचों का नाथ है जटाओं मे माँ गंगा विराज है यह वही निलकंठ बाबा है जिन्होंने समुद्र मंथन से निकले विष को पीकर सृष्टि को बचात है गले मे रहता इनके शेष नाग है भस्म लगा देह पर अपनी गहरी साधना मे डूब जात है एक हाथ माला कमंडल दूजे मे डमरु रहत है तीसरा नेत्र जब इनका खुलत है रुष्ट हो जब इनका डमरु बजत है क्रोध से भरे बाबा करते जब तांडव फिर पूरा ब्रह्मांड है इनसे कांपत आदि शक्ति के है स्वामी गणपति एंव कार्तिकेय दो पुत्र है ज्ञानी नंदी इनके प्रमुख गण के रुप मे जाने जाते कालों के काल माहकाल कहलाते बाबा भोले जिस पर प्रसन्न हो जाते वह जीवन की दुविधा से तर जाते चलो बाबा को प्रसन्न है करते भोले मेरे मन मे है बसते महाशिवरात्रि बना बाबा की कृपा पाते शिव शंकर के गुणगान है गाते................. 💟💟💟👏👏👏🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 #जयभोलेकी.......... #अंजान...... वो ऊँ है निराकार है हर ज्योत मे है समाहित त्रिलोकी नाथ है देवों का देव महादेव कहलात है वह शिव शंकर भोले नाथ है है एक ऐसी ध्वनी जो चलती सदैव साथ है हिमालय की गुफाओं मे रहने वाला