कहूँ अपना या ना तुमको प्रिये कहू या प्रेयसी या बन जाऊँ अनजान कोई सोचू नहीं तुम को मैं अपना दुविधा भरे मन को मेरे तुम ही कुछ सुझाव दो साथ रहो तुम बन के संगिनी स्वप्न ऐसे सजा लूं क्या या जब आए स्वप्न ऐसा तब मैं नींद से उठ जाऊँ स्वप्न देखते मन को मेरे तुम ही कुछ सुझाव दो प्रार्थनाओं में हमेशा साथ तुम्हारा मांगता हूं आस करू मैं मिलने की या आस लगाना छोड़ दु आशावादी मन को मेरे तुम ही कुछ सुझाव दो । ©pen_of_sawan कहूँ अपना या ना तुमको प्रिये कहू या प्रेयसी या बन जाऊँ अनजान कोई सोचू नहीं तुम को मैं अपना दुविधा भरे मन को मेरे तुम ही कुछ सुझाव दो साथ रहो तुम बन के संगिनी