आहिस्ता-आहिस्ता चलिए साहब... ज़यादा तेज कदम बढ़ाओगे तो गिर जाओगे! बंदगी करनी हैं तो किसी एक की करो.. यूँ सबके साथ इश्क़ फर्मओगे को गिर जाओगे! कभी-कभी कोई आँसू भी गिरना जरूरी है आँखो से.. यूँ पत्थर-दिल बनके अपने सारे गम छुपाओ गे तो गिर जाओगे! कुछ कीजिये काम ऐसा के जिसमे दुसरो का भी लिहाज़ रहे... यूँ सब पर कहर बरसाओ गे तो गिर जाओगे! ऐतबार नही करना किसी के ऊपर तो मत करो वो बेहतर है... पर यूँ सबको गलत बताओगे तो गिर जाओगे! कुछ देर किसी के सामने बुरे ही सही वो अच्छा है...मगर सबसे वफ़ा की उम्मीद लगाओगे तो गिर जाओगे! जज़्बातों के ऊपर कुछ धूल भी होनी जरूरी है... वो धूल मे रहे वो ही अच्छा है... सबको खूब चमकओ गे तो गिर जाओगे! सही से इस्तेमाल कीजिये अपनी तालीम का इस चोरो की बस्ती मे.. यूँ सबको इल्म सिखाओगे तो गिर जाओगे! #Morning #poetry तो गिर जाओगे!!!