हा में मजदुर हु , किसान हु आज़ादी क इतने सालो बाद भी खुद समाज का खुद का काबिल मुकाम ढूंढता में आज हु|,हा में किसान हु | तुम सबके घर को बनने वाला में आज में अपने घर जाने को भी लाचार हु हा में वही मजबूर किसान हु , हुक़ूमत के झूठे वादों में विश्वास की इक झलक तलाशता में आज हु , है में मज़दूर हु , हा में वही किसान हु , खुद भूखा रहकर भी तुम लोगो का पेट भरना वाला ,आज इक वक़्त की रोटी को तराशता में आज हु , तुम बड़े लोगो के वादो में खुद क बच्चे की क्रब बनते देखता में आज हु वही बेबस इंसान हु। मिलो का सफर सर पर कफ़न बांधे बिना किसी शिकन के तय करने वाला में मजबुर बेब्स लाचार हु ,इक बात याद रखना साहब आपके जैसे आराम की आदत नहीं ह मेरे जिस्म को ,में आपके लिए खड़ा रहने वाला वो ही ईमानदार इंसान हु ,आप समझो न समझो लेकिन में भी किसी का बाप ,भाई ,और किसी के घर का चाँद हु , सरकार के ढेकरदारो से कहता हु की , तुम मानो या न मानो ,तुम्हारे घर की नीव सी लेकर उसकी रोटी तक में में हिस्सेरदार हु ,कुछ नहीं मांग राह तुमसे बस आज भी बस अपने हक़ की गुहार हे ,वक़्त दिया ह खुदा ने तुमको समझ जाओ बन्दों ,वरना खुले दिल सै तुम्हारी बाबर्दी की दुआ मांगूगा | तुम खाक हो जाओगे और में तुम्हारी मौत का मंजर बड़े आराम से देखूगा | जात , धर्म , पर तुम मुसझे नहीं बाट पाऔ गये सहाब | में तो भूखा हु लाचार हु , में मजदुर हु अपने बच्चे को लाखो मिलो दूर पैदल चलने को लाचार हु है में गरीब हु कुछ तो शर्म करो में तुम्हारा पेट भरने वाला वही किसान हु | हा माना बना था मजदुर कुछ पैसे कमाने को घर में बीमार माँ का इज्जज़ कराने को लैकिन आज में रेल की पटरी पर भी सोने को तैयार हुए में वही मजबूर मजदुर हु कुछ जयदा नहीं चाहिए आपसे साहब बस घर छोड़ आओ बस में यहाँ मर भी नहीं सकता क्योकि में भी किसी की आखिरी उम्मीद ,किसी की दुनिया और किसी के ईद का चाँद हु | कोई धरम नहीं ह मेरा में बस कभी मजदूर कभी बेब्स बाप तो कभी किसी के घर की औलाद हु , में भी किसी का चाँद हु , ऐसे मत कटने दो मुझे ट्रैन की पटरियो के निचे में भी किसी क घर का ताज हु | #footsteps #labour #lockdown🤔 #Home