वेदना के स्वर गूँजने लगे जब मन हो गया लाचार, कोई न सुने पीड़ पराई, हृदय करे फिर हाहाकार, निर्दोषों को आज गुनाहों की सजा सुनाई जा रही है, मन विचलित हो गया देख ये अव्यवस्था और व्यभिचार। 🌝प्रतियोगिता-128🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"वेदना के स्वर"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I