New Year 2025 आईने में मैं जब खुद को देखता हूं तो मैं खुद से बात करता हूँ... खुद से ही मुलाकात करता हूँ... छोड़कर दुनिया की दुनियादारी को.. केवल खुद की ही बात सुनता हूं... यह माना कि औरों के लिए भी जीना पड़ता है, पर खुद के लिए ही कोई ख़्वाब बुनता हूं... ज़िन्दगी का क्या है आज है कल नहीं... इसलिए खुद के लिए जीता हूं ताकि मेरे न रहने पर किसी को मलाल न हो.... हाँ बन जाता हूँ थोड़ा सा स्वार्थी कभी-कभी... इंसान हूँ इंसान की ज़द में रह कर बात करता हूँ.... ©Rishi Ranjan #Newyear2025 hindi poetry love poetry for her love poetry in hindi hindi poetry on life