यूं मुझपे गिर इतराया ना कर ए वर्षा की बूंद काफिर कवि हूं कहीं निखर गया गर मैं तो भरी महफ़िल में खामखां बदनाम हो कर रह जाओगे (यहां काफिर का आश्रय उपद्रवी से है ) #मेरीक़लमसे #बारिश #में_और_मेरे_अहसास #myfeelings #yqdidi #kunu