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माँ तू तो मेरी जिंदगानी हैं कहाँ बता सकूँ तुझको अल

माँ तू तो मेरी जिंदगानी हैं कहाँ बता सकूँ तुझको अल्फ़ाज़ों में तू तो कलम में भी न बयाँ हो ऐसी कहानी है।
 तेरे चेहरे को तक लूँ  कुछ वक्त तेरे संग रह लूँ तो कोई भी मुश्किल कहाँ पास रह पाती है तेरी गोद मे सो जाऊं तो  इस घबराते मन को बड़ा सुकून दिलाती  है 
माँ तुझ तक तो मेरी ना कहीं बातें भी पहुंच ही जाती हैं तेरी दुआए ही तो है जो किसी भी बीमारी का इलाज कर जाती है ।
माँ तुझसे दूर हूँ फिर भी तू तो मोहे हर रोज समझाती है  
कभी मेरी गुरु बन के मुझे सिखाती है  कभी दोस्त बन के मोहे हँसाती है
 कभी ममता के आंचल में मेरी गलतियां छुपाती हैं
मैं तो ना किसी मस्जिद मंदिर और गुरुद्वारे को जानूँ मैं तो बस तोहे अपना भगवान अल्लाह और वायगुरु मानूँ। माँ😘😘😘
माँ तू तो मेरी जिंदगानी हैं कहाँ बता सकूँ तुझको अल्फ़ाज़ों में तू तो कलम में भी न बयाँ हो ऐसी कहानी है।
 तेरे चेहरे को तक लूँ  कुछ वक्त तेरे संग रह लूँ तो कोई भी मुश्किल कहाँ पास रह पाती है तेरी गोद मे सो जाऊं तो  इस घबराते मन को बड़ा सुकून दिलाती  है 
माँ तुझ तक तो मेरी ना कहीं बातें भी पहुंच ही जाती हैं तेरी दुआए ही तो है जो किसी भी बीमारी का इलाज कर जाती है ।
माँ तुझसे दूर हूँ फिर भी तू तो मोहे हर रोज समझाती है  
कभी मेरी गुरु बन के मुझे सिखाती है  कभी दोस्त बन के मोहे हँसाती है
 कभी ममता के आंचल में मेरी गलतियां छुपाती हैं
मैं तो ना किसी मस्जिद मंदिर और गुरुद्वारे को जानूँ मैं तो बस तोहे अपना भगवान अल्लाह और वायगुरु मानूँ।
माँ तू तो मेरी जिंदगानी हैं कहाँ बता सकूँ तुझको अल्फ़ाज़ों में तू तो कलम में भी न बयाँ हो ऐसी कहानी है।
 तेरे चेहरे को तक लूँ  कुछ वक्त तेरे संग रह लूँ तो कोई भी मुश्किल कहाँ पास रह पाती है तेरी गोद मे सो जाऊं तो  इस घबराते मन को बड़ा सुकून दिलाती  है 
माँ तुझ तक तो मेरी ना कहीं बातें भी पहुंच ही जाती हैं तेरी दुआए ही तो है जो किसी भी बीमारी का इलाज कर जाती है ।
माँ तुझसे दूर हूँ फिर भी तू तो मोहे हर रोज समझाती है  
कभी मेरी गुरु बन के मुझे सिखाती है  कभी दोस्त बन के मोहे हँसाती है
 कभी ममता के आंचल में मेरी गलतियां छुपाती हैं
मैं तो ना किसी मस्जिद मंदिर और गुरुद्वारे को जानूँ मैं तो बस तोहे अपना भगवान अल्लाह और वायगुरु मानूँ। माँ😘😘😘
माँ तू तो मेरी जिंदगानी हैं कहाँ बता सकूँ तुझको अल्फ़ाज़ों में तू तो कलम में भी न बयाँ हो ऐसी कहानी है।
 तेरे चेहरे को तक लूँ  कुछ वक्त तेरे संग रह लूँ तो कोई भी मुश्किल कहाँ पास रह पाती है तेरी गोद मे सो जाऊं तो  इस घबराते मन को बड़ा सुकून दिलाती  है 
माँ तुझ तक तो मेरी ना कहीं बातें भी पहुंच ही जाती हैं तेरी दुआए ही तो है जो किसी भी बीमारी का इलाज कर जाती है ।
माँ तुझसे दूर हूँ फिर भी तू तो मोहे हर रोज समझाती है  
कभी मेरी गुरु बन के मुझे सिखाती है  कभी दोस्त बन के मोहे हँसाती है
 कभी ममता के आंचल में मेरी गलतियां छुपाती हैं
मैं तो ना किसी मस्जिद मंदिर और गुरुद्वारे को जानूँ मैं तो बस तोहे अपना भगवान अल्लाह और वायगुरु मानूँ।
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