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उम्र कोई रोक नहीं सकता, बढ़ती है तो खुश रहो। घटन

उम्र कोई रोक नहीं सकता,

बढ़ती है तो खुश रहो।

घटना इसका स्वभाव नहीं,

विचारों में इसके मत बहो।

जिन्दगी कितनी बाकी है,

किसी को कुछ भी पता नहीं।

संग रहो मत दूर रहो,

दिल की जुबां है अनकही।


प्रेम तभी बढ़ता है ज्यादा,

जब कोई हमेशा पास रहें।

बिछड़ना कुदरत का नियम है,,

बस! यादें उसकी बात कहें।।


सज धज के दुल्हन की तरह,

चांद निकलने की आस में,

भूखी प्यासी राह देख रही,

प्रियतम के लिए उपवास में,

विश्वास बड़ा भी होता है,

पर किस्मत का साथ हो।

जन्म मरण वक्त के साथी है,

बाकी तो प्रभु का हाथ हो।


एक दिन सबको जाना है,

यह बात सबको याद रहें।

बिछड़ना कुदरत का नियम है,,

बस! यादें उसकी बात कहें।।

©Satish Kumar Meena
  #Leave बिछड़ना कुदरत का नियम है

#Leave बिछड़ना कुदरत का नियम है #कविता

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