ऐ उजालों तुम्हें कुछ शर्मो-हया है कि नहीं, इन सितारों से कहीं दूर ज़िया है कि नहीं! देखना ये है कि तक़दीर के अंधेरों में, कोई जुगनू कोई मिट्टी का दिया है कि नहीं! हम यही सोच के चुपचाप सितम सहते हैं, पत्थरों को भी कोई खौ़फे़-खुदा है कि नहीं! दिल के जज़्बात को पामाल किया करते हैं, कोई कह दे कि ये तश्बीह-वफा़ है कि नहीं! सारी दुनिया हो मिरे साथ दिल ये दिखेगा, मेरे हमदम तू मिरे साथ खड़ा है कि नहीं! क्यूँ पशेमां है सितारों की बुलंदी से "अलीम ", कुछ नहीं पास तेरे माँ की दुआ है कि नहीं! #yqaliem #yqbhaijan #ziya #diya #tashbih #wafa ज़िया - light,brilliancy तशबीह - simile, comparison पशेमां - embarrassed पामाल - trodden, trempled , रौंदना