ram lala ayodhya mandir यहाँ हमसे नही उठती, ज़रा सी शाम की पीड़ा। उन्हें पूछो उठाते हैं, जो आठो याम की पीड़ा। सनातन धर्म की पीड़ा, या' हो घनश्याम की पीड़ा। नहीं समझी किसी ने भी, हमारे राम की पीड़ा। ©सूर्यप्रताप स्वतंत्र #ramlalaayodhyamandir #कविता_संगम सुनील 'विचित्र' करन सिंह परिहार RJ राहुल द्विवेदी 'स्मित' दिनेश कुशभुवनपुरी Entrance examination poetry lovers