डोर, चरखी, पतंग सब कुछ था... बस उसके घर की तरफ़ हवा न चली...!!! ज़श्न के अपने अपने मुख्तलिफ तऱीके होंगें। हम तो खुश हो लेते हैं तेरी तस्वीर के आगे। शेर-ओ-सुखन क्या कोई बच्चों का खेल है? जल जातीं हैं जवानियाँ लफ़्ज़ों की आग में ©Md Arman ये कुछ न्या है जरा गौर फार्माइयेगा #Winter