काग़ज़ की कश्ती थी , मौसम बड़ा बेगाना था। ये तो मुसीबतों की बारिश थी , अभी तो लेहरों से भी टकराना था। अपने भी छूटे थे और, रूठा हुआ ज़माना था । पर ख्वाहिशें भी ऐसी ही थी, कि अभी कुछ कर दिखाना था। मंज़िल की तालाश थी , रास्तों का अकाल था। मुसीबतों से लड़ाई में , सिर्फ हौसलों का उबाल था । चोट खाती ज़िंदगी से , मै भी अब परेशान था। चेहरे पर मुस्कान तो थी , पर अंदर एक मसान था। #yqbaba #yqdidi #life #jiwan #zindagi #जीवन #जीवनरंग #सच