घर का रास्ता जब आ जाए टेढ़े-मेढ़े रास्तें, दिखने लगे कच्चे-पक्के मकान, मिले छांव आम के उस पेड़ के नीचे, समझ जाना यही है मेरे घर का रास्ता।। थरथराते हाथ उठे जब आशिर्वाद देने को, जब कोई खेत की मेड पर बैठ सुकुन से रोटी खाते दिखे, नदी की पवित्र धारा खुशी में बहती लगे, तो समझ जाना यही है मेरे घर का रास्ता।। शरारती बच्चों की टोली दिख जाए, बरगद के नीचे बैठे हमारे बाबा मिल जाए, प्यार की खुशबू आने लगे जब मिट्टी से, तो फिर तुम समझ जाना यही है मेरे घर का रास्ता।। #घर_का_रास्ता