वो मांझी ही क्या जो कश्ती को मंझधार से तो निकाले मगर किनारे पर डूबो दे... वो प्यार ही क्या जो अपने महबूब को जिंदगी का किनारा जीने किनारे छोड़ दे... #दर्शनठाकुर