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सोच कर अकेले में अपनों से दूर हो जाता हूं, पर जब य

सोच कर अकेले में अपनों से दूर हो जाता हूं,
पर जब याद आती है अपनों की तो बंद कमरें में रो लेता हूं,

काश इस तरह हम अपनों से जुदा ना हुए होते,
समझ सकते वो हमारी परिस्थितियां हम यूं अकेले ना हुए होतें।
Meenakshi Sharma दूर ना हुए होते
सोच कर अकेले में अपनों से दूर हो जाता हूं,
पर जब याद आती है अपनों की तो बंद कमरें में रो लेता हूं,

काश इस तरह हम अपनों से जुदा ना हुए होते,
समझ सकते वो हमारी परिस्थितियां हम यूं अकेले ना हुए होतें।
Meenakshi Sharma दूर ना हुए होते