वो क़यामत का हल पल कैसे गुज़रा, एक ख्याल सा आ रहा बेचैन था दिल , बेसूद था दिमाग , दोज़ख के चौखट पे मेरे कदमो के निशान ! हीना सिंह वो क़यामत का हल पल कैसे गुज़रा, एक ख्याल सा आ रहा बेचैन था दिल , बेसूद था दिमाग , दोज़ख के चौखट पे मेरे कदमो के निशान ! हीना सिंह