(कल कानपुर में गंगा घाट की सीढ़ियों पर मोदी जी के पैर फिसलने का मज़ाक उड़ाने वालो को दो टूक जवाब)
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समूचा जिस्म जिनका द्रोहियों के पैर लेटा था,
उड़ा कर खिल्लियां उन सबने ही मुद्दा समेटा था,
वो केवल सीढ़ियाँ न थीं वो गंगा माँ का आँचल था,
जो आँचल में था फिसला वो तो माँ गंगा का बेटा था।