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ऐ सशक्त लेखन के धनी, एक गान लिख रुदन लिख क्रंदन क

ऐ सशक्त लेखन के धनी,
एक गान लिख रुदन लिख  क्रंदन कह 
बेध सके जो ह्रदय व्योम का 
आकाश का तू वंदन लिख
ऐसा कोई स्पंदन लिख
ऐ कवि.....
.  
ऐ मधुर कंठ के स्वामी 
तू मार्ग दे इस व्यथा को
चीर दे सुरों से अपने 
स्वर के दर्द को अन्दर तक 
अपने अधरों से तू पीड़ा गा
ऐ मधुर कंठ के स्वामी ....
.
ऐ विस्तार के पर्याय आकाश
सुन रहे हो तो सुन लो 
ये गान तुम्हें विवश करेगा 
व्याकुल कर देगा 
ऋतू मर्यादा तोड़ तू
अहंकार सूर्य का छोड़ तू
दे निमंत्रण श्यामवर्णी मेघों को
तप्त अधरों को तृप्त कर दे
.
ये वसुंधरा पुकारती.......
.
धीर 
 वसुंधरा पुकारती
ऐ सशक्त लेखन के धनी,
एक गान लिख रुदन लिख  क्रंदन कह 
बेध सके जो ह्रदय व्योम का 
आकाश का तू वंदन लिख
ऐसा कोई स्पंदन लिख
ऐ कवि.....
.  
ऐ मधुर कंठ के स्वामी 
तू मार्ग दे इस व्यथा को
चीर दे सुरों से अपने 
स्वर के दर्द को अन्दर तक 
अपने अधरों से तू पीड़ा गा
ऐ मधुर कंठ के स्वामी ....
.
ऐ विस्तार के पर्याय आकाश
सुन रहे हो तो सुन लो 
ये गान तुम्हें विवश करेगा 
व्याकुल कर देगा 
ऋतू मर्यादा तोड़ तू
अहंकार सूर्य का छोड़ तू
दे निमंत्रण श्यामवर्णी मेघों को
तप्त अधरों को तृप्त कर दे
.
ये वसुंधरा पुकारती.......
.
धीर 
 वसुंधरा पुकारती

वसुंधरा पुकारती