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पाँव में पाज़ेब है या ज़ंजीर उसकी, वो मुझसे मिलने

पाँव में पाज़ेब है या ज़ंजीर उसकी,
वो मुझसे मिलने क्यूँ नहीं आती।

राह तकता हूँ मैं हर शब बेचैनी से,
कमबख़्त ख़्वाबों में भी नहीं आती।

अनंत

©Anant Nag Chandan पाँव में पाज़ेब है या ज़ंजीर उसकी,
वो मुझसे मिलने क्यूँ नहीं आती।

राह तकता हूँ मैं हर शब बेचैनी से,
कमबख़्त ख़्वाबों में भी नहीं आती।
पाँव में पाज़ेब है या ज़ंजीर उसकी,
वो मुझसे मिलने क्यूँ नहीं आती।

राह तकता हूँ मैं हर शब बेचैनी से,
कमबख़्त ख़्वाबों में भी नहीं आती।

अनंत

©Anant Nag Chandan पाँव में पाज़ेब है या ज़ंजीर उसकी,
वो मुझसे मिलने क्यूँ नहीं आती।

राह तकता हूँ मैं हर शब बेचैनी से,
कमबख़्त ख़्वाबों में भी नहीं आती।