हम तुम सिंह की सवार बनकर रंगों की फुहार बनकर पुष्पों की बहार बनकर सुहागन का श्रंगार बनकर तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ खुशियाँ अपार बनकर रिश्तों में प्यार बनकर बच्चों का दुलार बनकर समाज में संस्कार बनकर तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ रसोई में प्रसाद बनकर व्यापार में लाभ बनकर घर में आशीर्वाद बनकर मुँह मांगी मुराद बनकर तुम्हारा स्वागत है माँ तुम आओ संसार में उजाला बनकर ©Sharda Rajput happpy navratara#