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उम्र की वसीयत पर साँसों का दस्तख़त है या ख़ुदा उतनी

उम्र की वसीयत पर  साँसों का दस्तख़त है
या ख़ुदा उतनी ही मिले  जितनी ज़रूरत है !

अब गुल मिले या ख़ार  उसकी फ़िकर क्या
ज़िन्दगी तुझसे कोई शिकवा न शिक़ायत है !

कोई जीते कोई हारे  क्या ही बदल जायेगा
कुर्सी पर जो भी आता है वो ही मुसीबत है !

जो दिखाता है जो बोलता है  वो सच कहाँ
सच इतना  कि जान  बची है  ये ग़नीमत है !

धुन्ध में ढँकी दुनियाँ कितनी रूमानी मलय
नज़र आती सबकी बदली हुई शख्सियत है !

©malay_28 #धुन्ध से ढँकी दुनियाँ

#Childhood
उम्र की वसीयत पर  साँसों का दस्तख़त है
या ख़ुदा उतनी ही मिले  जितनी ज़रूरत है !

अब गुल मिले या ख़ार  उसकी फ़िकर क्या
ज़िन्दगी तुझसे कोई शिकवा न शिक़ायत है !

कोई जीते कोई हारे  क्या ही बदल जायेगा
कुर्सी पर जो भी आता है वो ही मुसीबत है !

जो दिखाता है जो बोलता है  वो सच कहाँ
सच इतना  कि जान  बची है  ये ग़नीमत है !

धुन्ध में ढँकी दुनियाँ कितनी रूमानी मलय
नज़र आती सबकी बदली हुई शख्सियत है !

©malay_28 #धुन्ध से ढँकी दुनियाँ

#Childhood
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