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जो जख़्म वक्त कभी नही भर पाया बन नासूर सदा वो रिसत

जो जख़्म वक्त कभी नही भर पाया 
बन नासूर सदा वो रिसते है। 
कभी शांत समंदर रोते है 
कभी आँसू बन  कर बहते है॥

घुल जाए ज़हर जब रिश्तों मे 
चुप रहना भी आसान नही 
बातों के नश्तर गहरे है 
जो शूल से चुभते रहते है ॥को जख़्म 
सत्य प्रकाश  शर्मा "सत्य"

©satya prakash sharma "सत्य" #नासूर #नश्तर #सत्य 

#holdmyhand
जो जख़्म वक्त कभी नही भर पाया 
बन नासूर सदा वो रिसते है। 
कभी शांत समंदर रोते है 
कभी आँसू बन  कर बहते है॥

घुल जाए ज़हर जब रिश्तों मे 
चुप रहना भी आसान नही 
बातों के नश्तर गहरे है 
जो शूल से चुभते रहते है ॥को जख़्म 
सत्य प्रकाश  शर्मा "सत्य"

©satya prakash sharma "सत्य" #नासूर #नश्तर #सत्य 

#holdmyhand