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जैसे अंधेरे में किसी की परछाईं, कुछ अंदेशा सा हुआ

जैसे अंधेरे में किसी की परछाईं,
कुछ अंदेशा सा हुआ क्यूंकि मौसम पल पल बदला....
कभी तपती दोपहरी
तो कभी बरसते बादलों से
रोज नए सपने देखने की उम्मीद देता गया,
इस बार भी, हर बार की तरह सितंबर आया और
कुछ ही दिनों में फिर आने का वादा कर गया.....
 सितंबर किस तरह गुज़रा?...
#सितंबर #collab #yqdidi  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
जैसे अंधेरे में किसी की परछाईं,
कुछ अंदेशा सा हुआ क्यूंकि मौसम पल पल बदला....
कभी तपती दोपहरी
तो कभी बरसते बादलों से
रोज नए सपने देखने की उम्मीद देता गया,
इस बार भी, हर बार की तरह सितंबर आया और
कुछ ही दिनों में फिर आने का वादा कर गया.....
 सितंबर किस तरह गुज़रा?...
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manishat8018

Manisha T.

New Creator