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।। ओ३म् ।। उक्थं च न शस्यमानं नागो रयिरा चिकेत ।

।। ओ३म् ।।

उक्थं च न शस्यमानं नागो रयिरा चिकेत । 
न गायत्रं गीयमानम् ॥

पद पाठ
उ꣣क्थ꣢म् । च꣣ । न꣢ । श꣣स्य꣡मा꣢नम् । न । अ꣡गोः꣢꣯ । अ । गोः꣣ । रयिः꣢ । आ । चि꣣केत । न꣢ । गा꣣यत्रम् । गी꣣य꣡मा꣢नम् ॥

श्रद्धा-रहित मनुष्य का उच्चारण किया गया भी स्तोत्र अनुच्चारित के समान होता है, दिया हुआ भी दान न दिये हुए के समान होता है और गाया हुआ भी सामगान न गाये हुए के समान होता है। इसलिए श्रद्धा के साथ ही सब शुभ कर्म सम्पादित करने चाहिएँ ॥

 The hymn that is spoken of a man without reverence is like the recited, the given is the same as the donated and the sung is like the sung not sung.  Therefore, with reverence, all auspicious actions should be performed.

( सामवेद मंत्र २२५ ) #सामवेद #वेद #मंत्र #श्रद्धा #भक्ति #भक्ति_में_शक्ति
।। ओ३म् ।।

उक्थं च न शस्यमानं नागो रयिरा चिकेत । 
न गायत्रं गीयमानम् ॥

पद पाठ
उ꣣क्थ꣢म् । च꣣ । न꣢ । श꣣स्य꣡मा꣢नम् । न । अ꣡गोः꣢꣯ । अ । गोः꣣ । रयिः꣢ । आ । चि꣣केत । न꣢ । गा꣣यत्रम् । गी꣣य꣡मा꣢नम् ॥

श्रद्धा-रहित मनुष्य का उच्चारण किया गया भी स्तोत्र अनुच्चारित के समान होता है, दिया हुआ भी दान न दिये हुए के समान होता है और गाया हुआ भी सामगान न गाये हुए के समान होता है। इसलिए श्रद्धा के साथ ही सब शुभ कर्म सम्पादित करने चाहिएँ ॥

 The hymn that is spoken of a man without reverence is like the recited, the given is the same as the donated and the sung is like the sung not sung.  Therefore, with reverence, all auspicious actions should be performed.

( सामवेद मंत्र २२५ ) #सामवेद #वेद #मंत्र #श्रद्धा #भक्ति #भक्ति_में_शक्ति