किसलिए तुम नाराज़ हो, कुछ ग़मगीन भी मालूम पड़ते हो। क्या खेल ज़िन्द ने तुम्हारे साथ खेला है, किस दर्द से आख़िर तुम्हारा नाता जोड़ा है। क्यूँ तुम ख़ामोश हो, किसके अक्स से तुम डरे हो! आज़ाद है वैसे तो ये ज़िन्दगी, पर तुम किस पिंजेरे में फँसे हो! पंख फहराओ, उड़ान भरो; किस हवा का तुम्हें इंतज़ार है! जो पल है, वो आज है-अभी है; अगले पल का तो घड़ी को भी इंतज़ार है! कभी-कभी सवाल, सवाल नहीं होता बल्कि ज़िन्दगी बन जाता है। #किसलिए #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi #yourquote #yqquotes #think_and_sharpen #sanjana_saxena