White उलझते रिश्ते कोई सुलझाना नहीं चाहता, बीती पुरानी बातों को भुलाना नहीं चाहता..! उलझा कर रिश्तों की डोर को और भी गहरा, अपना मक़सद बताना नहीं चाहता..! पर चाहता है मालिकाना दिखाना रिश्तों में अपनी, पर ख़ुद की जिम्मेदारियों को निभाना नहीं चाहता..! मैं ही मैं का दम्भ भरता रहता है, लालच का दैत्य भगाना नहीं चाहता..! बैठ कर कुण्डली मार कर दौलत पर, अपने बल पर कामना नहीं चाहता..! अपनी गलतियों का ठीकरा किसी और के सर मढ़ता है, दोष देने को फिर जमाना नहीं चाहता..! सोये हुए अपने भीतर के मनुष्य को, अपने कर्मों से जगाना नहीं चाहता..! औरों को ज्ञान का पाठ पढ़ाये पर, खुद को कभी समझाना नहीं चाहता..! चाहता है बगिया के फूल बनना सुन्दर, पर खुशबू से रिश्तों को महकाना नहीं चाहता..! ©SHIVA KANT(Shayar) #Sad_Status #ulajhterishtey