शदीद नींद है आँखों में,, बशर्ते खुली है आँखें उनकी यादों में,,, दिल अफ़सुर्दा है जिनकी बातों से,, बशर्ते कुछ तो लिहाज़ है उनके लफ़्ज़ों में,, तरसी है आख़ियाँ बरसी है आख़ियाँ शब ओ रोज़ उनकी दीद में बशर्ते अब मुन्तज़िर है आख़ियाँ उनके आने की उम्मीद में (@kkü)✍️ الفاظ ے جمشید ✍️ूे ©Jamsheed Safeer #शदीद_नींद #उम्मीद_और_मुहब्बत #जमशीदडायरी #जमशीद_के_अल्फ़ाज़