मैरे दिल के अल्फाजो को केवल अब लिख सकता हूँ दिल-ए-हाल किसी को अब सुना नही सकता जो अपने थे उन्ह को अब फुर्सत नही दिल-ए-हाल सुनने का मै आज इतना फिजूल हो गया की वो अब फूर्सत में भी याद नही करते है दिल-ए-हाल