कच्ची दीवारों से पक्के मकान में चलें आए, छोड़ कर जहान वो, नए जहान में चलें आए। शुरू हुआ था सफर जो बाप के कांधे पर, छोड़ कर गांव अब शहर में चलें आए। कुछ अपने थे रह गए अकेले सपनों के पीछे, छोड़ कर उन्हें हम परायों में चले आए। मिलता नहीं अब राह कोई घर को लौटने का जब से कैद हो कर हम जेलों में चलें आए। अरसा हो गया "तरूण" वैसी नींद नहीं आती, मां के आंचल से दूर जब से चलें आए। #NojotoQuote जिंदगी चलें आए। #जिंदगी की इस भागादौड़ी में सब कुछ पीछे छूट गया। आज #पैसा ही अपना है, पैसा ही परिवार है। असल जो अपने थे सब खो चुके हैं। #hindiwriters #kavita #hindiurdu #shayar #astitva #yqdidi #tarunvijभारतीय