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White क्यूँ ? पता नहीं ऐसा क्यों होता है सबकुछ प

White क्यूँ ?

पता नहीं ऐसा क्यों होता है
 सबकुछ पता होकर भी, 
सबसे दिल अन्जान क्यों होता है?
 इस मतलबी दुनिया में,
खुद के वजूद को खोता
 और फिर अकेले में रोता है। 
जानते हुए कितनी तकलीफ होती है, 
फिर भी सारे दर्द छुपाकर ये नादानी करता है। 
इस खुदगरज दुनिया में किसी को चोट न लग जाये
 इस लिए किसी से कुछ नहीं कहता है।
 बस इसलिए ये सबसे मकबूल होता है।

©Kiran Singh #Thinking  hindi poetry on life sad poetry
White क्यूँ ?

पता नहीं ऐसा क्यों होता है
 सबकुछ पता होकर भी, 
सबसे दिल अन्जान क्यों होता है?
 इस मतलबी दुनिया में,
खुद के वजूद को खोता
 और फिर अकेले में रोता है। 
जानते हुए कितनी तकलीफ होती है, 
फिर भी सारे दर्द छुपाकर ये नादानी करता है। 
इस खुदगरज दुनिया में किसी को चोट न लग जाये
 इस लिए किसी से कुछ नहीं कहता है।
 बस इसलिए ये सबसे मकबूल होता है।

©Kiran Singh #Thinking  hindi poetry on life sad poetry
kiransingh8971

Kiran Singh

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