#OpenPoetry हमने यह दिल लुटा दिया तुम पर तुमने कद्र ही नहीं की राहों में साथ चलते चलते हाथ छोड़ गए मुकद्दर आवाज तक नहीं दी ऐसे भी क्या मजबूरी ऐसे भी क्या नाराजगी कि हमारा कद्र भी नहीं करते इंतजार सिर्फ है तुम्हारी और तुम फिकर भी नहीं करती याद कर वे जमाना मेरे प्यार का विकास कोशले हमने यह दिल लगा दी