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सावन की बूंदें तू बरस इस तरह कि सारी कायनात प्रेम

सावन की बूंदें
तू बरस इस तरह
कि सारी कायनात
प्रेम की सागर में
गोत्ते लगाए।
बह जाए नफरतों
के आग
तेरे सोहबत में
आने के बाद।
मिट जाएं दूरियां
तेरे आगोश में
आने के बाद।
ऐसे ही बरसना मेघ राज
कि मिट जाए प्यास
धरती की खिल उठे
धरती हमारी
ऐसे ही बरसना,,
सावन की बूंदें
तू बरस इस तरह
कि सारी कायनात
प्रेम की सागर में
गोत्ते लगाए।
बह जाए नफरतों
के आग
तेरे सोहबत में
आने के बाद।
मिट जाएं दूरियां
तेरे आगोश में
आने के बाद।
ऐसे ही बरसना मेघ राज
कि मिट जाए प्यास
धरती की खिल उठे
धरती हमारी
ऐसे ही बरसना,,