मेरी अस्तित्व तब तक है,जब तक मैं अपने वसुलों और सिद्धांतों पर हूँ,खत्म उसी दिन हो जाउंगी,जब मेरा स्वाभिमान किसी पैसे और अमिरों के आगे बिका,धर्म मेरा है,मैं धर्मों की गुलाम नही,कर्म मेरा है,मैं कर्मो की गुलाम नहीं,मेरी इंसानियत ही मेरी आत्मा;वजूद,कर्म और धर्म है।बाकी सारे किताबे मुझे कुछ न सिखा सकी। #तुम_हो_तो_मैं_हूँ, #मेरी_आत्मा_मेरी_वजूद,