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कहर बनके बरस रहा है कोरोना का संकटकाल, जिसमें मजदू

कहर बनके बरस रहा है कोरोना का संकटकाल,
जिसमें मजदूरों का हुआ है बुरा हाल।

भीषण गर्मी,तपती धूप,नंगे पैर और भूखप्यास से हुए बेचारे बेहाल ।
ऊपर से कहीं रेल की चपेट तो कहीं सड़क हादसे में गवां रहे है अपनी जान। 

आंखों से निकले है असंख्य अश्कों के रेले,आखिर कब तक मजदूर ये लंबा सफर और मोतों के मंजर झेलें।

मेरे देश की सरकार कुछ तो उम्मीद का करो आगाज,
बेवसी के मारे मजदूरों की भी तो सुन लो आवाज ।

शांत और नीरस रोडें भी चुप ना रहती,कुछ कुछ कहा करती हैं,
सड़कों पर बहते रक्त से उनकी दर्द भरी दास्तां वयां करती हैं।@Sweeti #Hope#Hopeless for Labours
कहर बनके बरस रहा है कोरोना का संकटकाल,
जिसमें मजदूरों का हुआ है बुरा हाल।

भीषण गर्मी,तपती धूप,नंगे पैर और भूखप्यास से हुए बेचारे बेहाल ।
ऊपर से कहीं रेल की चपेट तो कहीं सड़क हादसे में गवां रहे है अपनी जान। 

आंखों से निकले है असंख्य अश्कों के रेले,आखिर कब तक मजदूर ये लंबा सफर और मोतों के मंजर झेलें।

मेरे देश की सरकार कुछ तो उम्मीद का करो आगाज,
बेवसी के मारे मजदूरों की भी तो सुन लो आवाज ।

शांत और नीरस रोडें भी चुप ना रहती,कुछ कुछ कहा करती हैं,
सड़कों पर बहते रक्त से उनकी दर्द भरी दास्तां वयां करती हैं।@Sweeti #Hope#Hopeless for Labours