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रफ़्तार पकड़ने लगी है मेरी ज़िंदगी कभी खुशियां तो

रफ़्तार पकड़ने लगी है मेरी ज़िंदगी
कभी खुशियां तो कभी कुछ अपने
मुझसे रूठ जाते है, लिखता हूं हमेशा
मैं कुछ नया ज़िंदगी की क़िताब में
पर क्या करूं मुझसे कुछ ज़िंदगी के
हसीन पन्ने ख़ाली छूट जाते हैं...

©Nikhil Kaushik रफ़्तार पकड़ने लगी है मेरी ज़िंदगी
कभी #खुशियां तो कभी कुछ #अपने 
मुझसे #रूठ जाते है, #लिखता हूं हमेशा
मैं कुछ नया ज़िंदगी की #क़िताब में 
पर क्या करूं मुझसे कुछ #ज़िंदगी के 
#हसीन_पन्ने ख़ाली छूट जाते हैं...

#Raftaar
रफ़्तार पकड़ने लगी है मेरी ज़िंदगी
कभी खुशियां तो कभी कुछ अपने
मुझसे रूठ जाते है, लिखता हूं हमेशा
मैं कुछ नया ज़िंदगी की क़िताब में
पर क्या करूं मुझसे कुछ ज़िंदगी के
हसीन पन्ने ख़ाली छूट जाते हैं...

©Nikhil Kaushik रफ़्तार पकड़ने लगी है मेरी ज़िंदगी
कभी #खुशियां तो कभी कुछ #अपने 
मुझसे #रूठ जाते है, #लिखता हूं हमेशा
मैं कुछ नया ज़िंदगी की #क़िताब में 
पर क्या करूं मुझसे कुछ #ज़िंदगी के 
#हसीन_पन्ने ख़ाली छूट जाते हैं...

#Raftaar

रफ़्तार पकड़ने लगी है मेरी ज़िंदगी कभी #खुशियां तो कभी कुछ #अपने मुझसे #रूठ जाते है, #लिखता हूं हमेशा मैं कुछ नया ज़िंदगी की #क़िताब में पर क्या करूं मुझसे कुछ #ज़िंदगी के #हसीन_पन्ने ख़ाली छूट जाते हैं... #Raftaar #Shayari