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ख़ामोश हैं लब कि आज तुमको सुना नही, आरज़ू ने हमारी

ख़ामोश हैं लब कि आज तुमको सुना नही,
आरज़ू ने हमारी कल ख्वाब रात बुना नही,

लफ्ज़ मेरे साथ मेरे आज कुछ रुठे-रुठे से,
कि आयतें भी बे-आवाज़ ही बैठ पढ़ते रहे,

सजदें महबूब की गलियों में खामोशियों के,
मलंग वायदों की यादों में यूं ही जीते रहे...!

ढुंढती है बेकरारी में आंखें ख़ुमार में डूबे-डूबे,
कर देंगी बेशुमार दौलत निसार सब शोहरतें,

सनम, तुम्हारे करीब जन्नत की सी फिजा होगी,
सोच-सोच मचले, शब-ए-वस्ल क्या हंसी होगी!

दीदार की तलब, अहा! लगता जल्द ही पूरी होगी,
आखिर ये दूरी की बेचैनी थोड़ी तो उधर भी होगी!   First attempt of a kind🤗

ख़ामोश हैं लब कि आज तुमको सुना नही,
आरज़ू ने हमारी कल ख्वाब रात बुना नही,

लफ्ज़ मेरे साथ मेरे आज कुछ रुठे-रुठे से,
कि आयतें भी बे-आवाज़ ही बैठ पढ़ते रहे,
ख़ामोश हैं लब कि आज तुमको सुना नही,
आरज़ू ने हमारी कल ख्वाब रात बुना नही,

लफ्ज़ मेरे साथ मेरे आज कुछ रुठे-रुठे से,
कि आयतें भी बे-आवाज़ ही बैठ पढ़ते रहे,

सजदें महबूब की गलियों में खामोशियों के,
मलंग वायदों की यादों में यूं ही जीते रहे...!

ढुंढती है बेकरारी में आंखें ख़ुमार में डूबे-डूबे,
कर देंगी बेशुमार दौलत निसार सब शोहरतें,

सनम, तुम्हारे करीब जन्नत की सी फिजा होगी,
सोच-सोच मचले, शब-ए-वस्ल क्या हंसी होगी!

दीदार की तलब, अहा! लगता जल्द ही पूरी होगी,
आखिर ये दूरी की बेचैनी थोड़ी तो उधर भी होगी!   First attempt of a kind🤗

ख़ामोश हैं लब कि आज तुमको सुना नही,
आरज़ू ने हमारी कल ख्वाब रात बुना नही,

लफ्ज़ मेरे साथ मेरे आज कुछ रुठे-रुठे से,
कि आयतें भी बे-आवाज़ ही बैठ पढ़ते रहे,
shree3018272289916

Shree

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First attempt of a kind🤗 ख़ामोश हैं लब कि आज तुमको सुना नही, आरज़ू ने हमारी कल ख्वाब रात बुना नही, लफ्ज़ मेरे साथ मेरे आज कुछ रुठे-रुठे से, कि आयतें भी बे-आवाज़ ही बैठ पढ़ते रहे,