फिर उठाई कलम तो बता क्या लिखा, कुछ नहीं जाने जाँ तेरा चेहरा लिखा, तू चमकते सितारों में बादल सी थी, और पानी तभी खुद को ठहरा लिखा, पेड़ सा लग रहा था खड़ा राह में, बैठ कर छाँव में तुझको थोड़ा लिखा, चूम कर इन लबों से गया तू किधर, फूल था मैं अगर तुझको भँवरा लिखा, बस तुझे ही सजाता रहा रात भर, मैंने तो कहाँ एक पन्ना लिखा। Fir Uthayi Kalam #yqdidi #yqfriends #yqhindi #yqhindishayari #hindi #hindipoetry