रात की मदहोशी भी कुछ ऐसी है, शराब के नशे की जैसी है। ना जाने कितना डूबना है ख़्वाबों में अब, कि देख उठे देख मेरी कामयाबी सब। _ज्योति गुर्जर #ख्वाबों